नई दिल्ली । देहरादून। उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार राज्य में कौशल जनगणना शुरू करने जा रही है। यह विशेष जनगणना युवाओं की शिक्षा और कौशल से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए की जाएगी। इसके साथ ही उद्योगों में आवश्यक कौशल और रोजगार की संभावनाओं का भी आकलन किया जाएगा। इस आधार पर लोगों को कौशल आईडी प्रदान की जाएगी। देश में अब तक ऐसी पहल केवल आंध्र प्रदेश में हुई है, जिससे उत्तराखंड दूसरा राज्य बन जाएगा।
सरकार का उद्देश्य युवाओं को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार रोजगार से जोड़ना और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है। कौशल जनगणना की तैयारी कौशल विकास समिति ने शुरू कर दी है। राज्य में बढ़ती रोजगार और स्वरोजगार की जरूरतों के मद्देनजर सरकार यह जानना चाहती है कि किन क्षेत्रों में कौशल की कमी है और युवाओं की रुचि किन क्षेत्रों में अधिक है।
जनगणना के नोडल अधिकारी पंकज कुमार के अनुसार, शासन ने इसके लिए अनुमति दे दी है और अब डीपीआर (डिज़ाइन पेपर रिपोर्ट) तैयार करने के लिए कंसल्टेंसी का चयन किया जा रहा है। इसके बाद ही जनगणना की रूपरेखा पूरी तरह स्पष्ट होगी।
जनगणना का डेटा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से एकत्र किया जा सकता है। सरकार इसे कौशल अंतराल को भरने, प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने और युवाओं को सही नौकरी के लिए तैयार करने में इस्तेमाल करेगी। इससे रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ-साथ उद्योगों की जरूरतों और लोगों के कौशल के बीच अंतर को भी समझा जा सकेगा।
आंध्र प्रदेश में ऐसी ही जनगणना पहले ही शुरू हो चुकी है। वहां यह 15 से 59 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों के लिए की जा रही है। परियोजना पर इंफोसिस काम कर रहा है और यह दो चरणों में होगी। पहले चरण में कंपनियों की कौशल आवश्यकताओं का डेटा एकत्र किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में लोगों के कौशल और शिक्षा की जानकारी ली जाएगी। उत्तराखंड में भी इसी तरह की दो-चरणीय प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।
इस पहल से राज्य में कौशल विकास और रोजगार सृजन को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। युवाओं को उनकी क्षमता और रुचि के अनुसार उचित प्रशिक्षण और नौकरी प्रदान करने का यह पहला कदम होगा।
