राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक समाप्त हो चुकी है, लेकिन संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत अभी भी संस्कारधानी जबलपुर में अपने प्रवास पर रहेंगे। सोमवार को वे तिलहरी स्थित विजन महल होटल में आयोजित वृहद संत समागम में शामिल होंगे। यह आयोजन स्वामीनारायण संप्रदाय की ओर से किया गया है, जिसमें देशभर से आए संत-महात्मा और हरि भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित रहेंगे।
देश भर से पहुंचे संत और भक्त
जानकारी के अनुसार, इस संत समागम में दिल्ली और अहमदाबाद से आए लगभग 350 संत, देश के विभिन्न राज्यों से आए करीब 600 हरि भक्त और स्थानीय श्रद्धालु मिलाकर कुल 2,000 से अधिक लोग भाग लेंगे। इस अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत सभी उपस्थित लोगों को संबोधित करेंगे।
संघ प्रमुख का 20 से 25 मिनट का उद्बोधन
संत समागम का मुख्य आकर्षण संघ प्रमुख का उद्बोधन रहेगा, जो शाम की संध्या बेला में होगा। अनुमान है कि उनका संबोधन लगभग 20 से 25 मिनट का होगा, जिसमें वे सामाजिक समरसता, आध्यात्मिक जागरण और राष्ट्र निर्माण में संत समाज की भूमिका जैसे विषयों पर अपने विचार रख सकते हैं। इसके साथ ही, स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रमुख संतजन भी मंच से उपस्थित हरि भक्तों को संबोधित करेंगे और समाज में सदाचार, सेवा और भक्ति भावना को बढ़ाने का संदेश देंगे।
तैयारियों में जुटा प्रशासन और आयोजक
वृहद संत समागम को लेकर आयोजन स्थल पर विशेष तैयारियां की गई हैं। कार्यक्रम स्थल विजन महल होटल में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। स्थानीय प्रशासन और आयोजक समिति ने संयुक्त रूप से सभी आवश्यक व्यवस्थाओं की समीक्षा की है। संतों और श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए विशेष व्यवस्था, भोजन-प्रसाद वितरण और आवासीय सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं।
संघ प्रमुख का जबलपुर प्रवास महत्वपूर्ण
RSS प्रमुख मोहन भागवत का जबलपुर प्रवास संगठनात्मक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बीते कुछ दिनों से शहर में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक चल रही थी, जिसमें देशभर से शीर्ष पदाधिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक में संघ के आगामी कार्यक्रमों, संगठन विस्तार और सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। बैठक पूर्ण होने के बाद अब संघ प्रमुख का यह संत समागम में सम्मिलित होना, आध्यात्मिकता और सामाजिक समरसता के समन्वय का प्रतीक माना जा रहा है।
स्वामीनारायण संप्रदाय का उद्देश्य
स्वामीनारायण संप्रदाय का यह आयोजन समाज में आध्यात्मिक एकता, सेवा भावना और सदाचार के प्रसार के उद्देश्य से किया जा रहा है। समागम में भक्ति-भजन, प्रवचन और संतों के सान्निध्य से वातावरण आध्यात्मिक उल्लास से भर जाएगा।
संघ प्रमुख का संदेश; ‘समाज को जोड़ना ही सबसे बड़ा धर्म’
संघ प्रमुख के उद्बोधन में यह संदेश प्रमुख रहने की उम्मीद है कि भारत की आत्मा संत परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों में निहित है। वे संभवतः यह भी कहेंगे कि “समाज को तोड़ने वाली शक्तियों के बीच संघ और संत समाज का कार्य है समाज को जोड़ना, और यही सच्चा राष्ट्रधर्म है।” उल्लेखनीय है कि संस्कारधानी में आयोजित यह संत समागम न केवल एक धार्मिक मिलन समारोह है, बल्कि यह भारतीय समाज में एकता, संस्कृति और सेवा की भावना को सशक्त करने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम भी माना जा रहा है।
