नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट को लेकर अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस धमाके को “स्पष्ट रूप से एक आतंकवादी हमला” करार दिया है। उन्होंने कहा कि भारत इस घटना की जांच बेहद पेशेवर और संयमित तरीके से कर रहा है तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उसकी इस तत्परता की सराहना करनी चाहिए।
रुबियो ने मीडिया से बातचीत में कहा, “भारतीयों की सराहना की जानी चाहिए। वे इस जांच को बहुत सोच-समझकर, सावधानीपूर्वक और पेशेवर तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। यह निस्संदेह एक आतंकवादी हमला था। अत्यधिक विस्फोटक पदार्थों से भरी एक कार में यह धमाका हुआ, जिसमें कई लोगों की जान गई।”
भारत की जांच प्रक्रिया पर अमेरिकी विश्वास
अमेरिकी विदेश मंत्री ने इस घटना के बाद भारत सरकार के रुख और कार्रवाई की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत इस तरह की परिस्थितियों को संभालने में सक्षम और अनुभवी देश है। उन्होंने कहा, “मामले की जांच तेज़ी से चल रही है। मेरा विश्वास है कि जैसे ही भारत को कोई ठोस सबूत मिलेगा, वह उसे दुनिया के सामने पेश करेगा। उनके पास अपने तरीकों से तथ्यों को जुटाने और विश्लेषण करने की पूरी क्षमता है।”
रुबियो ने यह भी जानकारी दी कि उन्होंने इस मामले को लेकर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से बातचीत की है। उन्होंने कहा, “हमारी बातचीत रचनात्मक रही। मैंने जयशंकर जी से कहा कि अमेरिका भारत के साथ खड़ा है। यदि किसी तरह की सहायता की आवश्यकता हो, तो हम तैयार हैं, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि वह जांच को खुद संभालने में पूरी तरह सक्षम है।”
भारत को मदद की ज़रूरत नहीं, रुबियो
रुबियो ने यह स्वीकार किया कि अमेरिका ने भारत को तकनीकी और फॉरेंसिक सहायता की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने स्वतंत्र रूप से जांच जारी रखने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “हमें भारत की क्षमता पर भरोसा है। वे बेहद कुशल एजेंसियों के साथ काम कर रहे हैं। हमने इस मुद्दे पर आज थोड़ी बातचीत की और अब हम यह देखने के लिए इंतजार करेंगे कि जांच क्या खुलासे करती है।”
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें दिल्ली पर
इस धमाके ने न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी ध्यान अपनी ओर खींचा है। अमेरिकी विदेश मंत्री की यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि अमेरिका इस घटना को वैश्विक सुरक्षा परिप्रेक्ष्य में देख रहा है। विदेशी विश्लेषकों का मानना है कि लाल किले जैसे ऐतिहासिक और संवेदनशील स्थल के पास हुआ विस्फोट भारत की राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने वाला है। ऐसे में भारत की त्वरित प्रतिक्रिया और जांच की दिशा यह तय करेगी कि घटना के पीछे कौन-से आतंकी तत्व सक्रिय हैं।
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद विरोधी सहयोग मजबूत हुआ है। दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने और सुरक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ा है। ऐसे में दिल्ली विस्फोट की पृष्ठभूमि में जयशंकर और रुबियो की बातचीत को इस सहयोग के नए चरण की शुरुआत माना जा रहा है। रुबियो की टिप्पणी से यह भी स्पष्ट है कि अमेरिका भारत की जांच एजेंसियों पर भरोसा जताता है और चाहता है कि जांच पूरी पारदर्शिता से आगे बढ़े।
