देश में पहली बार केंद्र सरकार ने जनजातीय नायकों के इतिहास को व्यापक स्तर पर पहचान देने के साथ-साथ जनजातीय समाज के आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनजातीय वीरों के योगदान को राष्ट्रीय मंच प्रदान किया गया है और जनजातीय क्षेत्रों में विकास योजनाओं की रफ्तार भी तेज हुई है।
सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ घोषित करते हुए उसे राष्ट्रीय पर्व का रूप दिया। इसके साथ ही पूरे देश में जनजातीय गौरव सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसके माध्यम से आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की गाथाएँ स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक कार्यक्रमों तक पहुँच रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बिरसा मुंडा की जन्मभूमि उलिहातु जाकर श्रद्धांजलि देना जनजातीय इतिहास को राष्ट्रीय सम्मान देने का प्रतीक माना जा रहा है।
इसी क्रम में रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती, सिद्धो-कान्हो और फूलो-झानो जैसे संथाल नायकों की स्मृति में राष्ट्रीय आयोजन और विभिन्न राज्यों में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों की स्थापना को सरकार ऐतिहासिक कदमों के रूप में पेश कर रही है। रांची में बिरसा मुंडा स्मारक पार्क समेत 11 राज्यों में संग्रहालयों का निर्माण जनजातीय धरोहर को संरक्षित करने का बड़ा प्रयास है।
केंद्र सरकार जनजातीय समुदाय के समकालीन विकास पर भी जोर दे रही है। वनोपज की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में भारी बढ़ोतरी, TRIFED के माध्यम से सीधे खरीद, और देशभर में बने वन धन विकास केंद्रों ने लाखों आदिवासियों को आजीविका और बाजार से जुड़ाव दिया है। जनजातीय युवाओं के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों का विस्तार किया जा रहा है, जबकि स्वास्थ्य सेवाओं और पोषण कार्यक्रमों को जनजातीय जिलों में तेज गति से लागू किया गया है।
जंगल और जमीन से जुड़े अधिकारों को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने वनाधिकार पट्टों की स्वीकृति को गति दी है। कई आदिवासी बहुल इलाकों में सड़क, बिजली, इंटरनेट और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार हुआ है, जिससे दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने का रास्ता खुला है।
सरकारी एजेंसियों का कहना है कि जनजातीय नायकों पर आधारित पुस्तकें, कॉमिक्स, डिजिटल कंटेंट और स्मारक सिक्कों के माध्यम से युवा पीढ़ी को देश के आदिवासी इतिहास से परिचित कराया जा रहा है। अल्लूरी सीताराम राजू की प्रतिमा से लेकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन तक सार्वजनिक स्थानों का नामकरण भी जनजातीय पहचान को सम्मान देने का प्रयास माना जा रहा है।
सरकार का दावा है कि यह सभी पहलें केवल स्मृति निर्माण तक सीमित नहीं, बल्कि जनजातीय समाज के गौरव, अधिकार और विकास को एक साथ मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। जनजातीय क्षेत्रों के लोगों का कहना है कि केंद्र की योजनाओं और निवेश से शिक्षा, रोजगार और आजीविका के नए अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।
