नई दिल्ली । हाल ही में की गई जांच में यह खुलासा हुआ है कि तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) से जुड़े कुछ लोग जकात के नाम पर आतंकवादी गतिविधियों को फंडिंग कर रहे थे। ये लोग जकात के रुपयों का इस्तेमाल देश-विदेश में आतंकवादी मंसूबों को अंजाम देने के लिए कर रहे थे। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस फंडिंग से आतंकवादी विस्फोटक सामग्री खरीदते थे और अपनी नापाक योजनाओं को सफल बनाने के लिए अन्य देशों में यात्रा करते थे।
जकात की फंडिंग और आतंकी गतिविधियों का लिंक
जकात, इस्लामिक दान का एक हिस्सा है जिसे मुसलमान अपनी कमाई का 2.5% गरीबों और जरूरतमंदों को देते हैं। हालांकि, अब एजेंसियों ने पाया है कि कुछ लोग इस धन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए कर रहे थे। जकात के रुपये का एक बड़ा हिस्सा आतंकवादियों द्वारा विस्फोटक सामग्री खरीदने, यात्रा करने और आतंक की नर्सरी तैयार करने में खर्च किया जाता था। इसके जरिए, संगठन के सदस्य देश-विदेश की यात्रा करते थे और अपनी आतंकी योजनाओं को आगे बढ़ाते थे।
जकात से जुड़ी संस्थाओं और विदेशों में फंडिंग
इस जांच में यह भी पता चला है कि जकात के धन से कुछ मुस्लिम देशों की संस्थाएं भी जुड़ी हुई थीं, जो आतंकवादी गतिविधियों में पैसा लगा रही थीं। जांच एजेंसियां अब इन संस्थाओं के बैंक खातों का विवरण खंगाल रही हैं। लगभग 15 बैंकों के खातों की जानकारी एजेंसियों के पास आ चुकी है, और यह उम्मीद जताई जा रही है कि इन खातों से जुड़े कई और बड़े राजफाश हो सकते हैं। इसके अलावा, जांच में 25-30 संदिग्ध मोबाइल नंबर भी सामने आए हैं, जो दिल्ली विस्फोट के बाद से बंद हैं। अब इन नंबरों के आईएमईआई से जुड़े अन्य डेटा की भी जांच की जा रही है।
डॉ. शाहीन, डॉ. परवेज और टेरर फंडिंग
इन जांचों में प्रमुख रूप से डॉ. शाहीन, मुजम्मिल, डॉ. परवेज और व्हाइट कॉलर टेररिस्ट ग्रुप से जुड़े लोगों का नाम सामने आया है। इन लोगों के खिलाफ जानकारी इकट्ठा की जा रही है, ताकि पता चल सके कि कैसे वे जकात के धन का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए करते थे। इसके अलावा, एजेंसियां यह भी देख रही हैं कि कैसे तब्लीगी जमात के सदस्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर, सहारनपुर, हापुड़, मुरादाबाद, दिल्ली, श्रीनगर, जम्मू के अलावा दुबई, ओमान जैसे देशों में जाकर बैठकें करते थे और जकात जुटाते थे।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और रिहैब इंडिया फाउंडेशन
केंद्र सरकार ने 2022 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और इसके सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन को आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप में पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। केंद्रीय एजेंसियों की जांच में यह भी सामने आया था कि रिहैब इंडिया फाउंडेशन जकात से जुटाए गए धन को आतंकवादी गतिविधियों में खर्च कर रहा था, और इसका लिंक पीएफआई से जुड़ा हुआ था। इसके बाद कई पीएफआई पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई की गई थी।
जकात का धन, जो मूल रूप से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए दिया जाता है, अब आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। जांच एजेंसियों के चौंकाने वाले खुलासे से यह स्पष्ट हो गया है कि कुछ लोग इस धन का गलत इस्तेमाल कर रहे थे और देश-विदेश में आतंकवाद फैलाने के लिए इसका प्रयोग कर रहे थे। अब एजेंसियां इन फंडिंग स्रोतों और उनके संबंधित नेटवर्क को खंगालने में जुटी हुई हैं, ताकि आतंकवादियों के इन नेटवर्क्स को नष्ट किया जा सके।
