स्वदेश में विकसित ‘कवच’: रेलवे सुरक्षा का नया आधार
कवच प्रणाली को भारत में ही डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है। इसका पहला फील्ड ट्रायल फरवरी 2016 में यात्री ट्रेनों में शुरू किया गया। सफल परीक्षणों के बाद जुलाई 2020 में इसे भारत की आधिकारिक राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली के रूप में अपनाया गया।
यह तकनीक लोको पायलट को निर्धारित गति सीमा में ट्रेन चलाने में मदद करती है। यदि पायलट किसी कारणवश निर्धारित गति पार करता है, तो कवच स्वतः ट्रेन की ब्रेकिंग सिस्टम सक्रिय कर ट्रेन को नियंत्रित कर देता है। इसका उद्देश्य रेल दुर्घटनाओं को कम करना, मानव त्रुटियों से होने वाले हादसों को रोकना और रेल संचालन को अधिक सुरक्षित एवं विश्वसनीय बनाना है।
कोटा–मथुरा और कोटा–नागदा खंड पूर्ण रूप से सुरक्षित
RTI के अनुसार, 30 जुलाई 2025 को 324 किमी के कोटा–मथुरा खंड पर कवच 4.0 को सक्रिय कर दिया गया। इसके बाद 7 अक्टूबर 2025 को 225 किमी लंबे कोटा–नागदा खंड को भी इस प्रणाली से लैस किया गया।
इन दोनों खंडों के कवरेज के साथ पूरा मथुरा–नागदा (549 मार्ग किमी) रेलखंड अब कवच 4.0 की सुरक्षा में संचालित हो रहा है। यह देश के सबसे व्यस्ततम मार्गों में से एक है और यहां कवच का विस्तार रेलवे सुरक्षा को नई मजबूती देता है।
पूर्व रेलवे में भी कवच का विस्तार
रेल मंत्रालय ने बताया कि कवच 4.0 को पूर्व रेलवे के 105 किलोमीटर लंबे हावड़ा–बर्धमान खंड पर भी लागू कर दिया गया है। यह खंड पश्चिम बंगाल की सबसे व्यस्त और घनी रेलमार्गों में से एक है, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोकल और एक्सप्रेस ट्रेनें संचालित होती हैं।
कितने स्टेशन और इंजन हुए सुसज्जित?
RTI आवेदनकर्ता चंद्रशेखर गौड़ के सवालों के जवाब में मंत्रालय ने विस्तृत आंकड़े साझा किए।
31 अक्टूबर 2025 तक:
2,892 इंजन कवच 4.0 से लैस
155 रेलवे स्टेशन पर स्टेशन-कवच की स्थापना
जोनों के अनुसार स्थिति:
पश्चिम रेलवे:
मथुरा–कोटा खंड के 77 स्टेशन
कोटा–नागदा खंड के 53 स्टेशन
पूर्व रेलवे:
हावड़ा–बर्धमान खंड के 26 स्टेशन
रेल मंत्रालय के अनुसार, यह स्थापना कार्य तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है और आने वाले महीनों में कवच प्रणाली को और भी रेलखंडों और इंजनों पर लागू किया जाएगा।
क्यों महत्वपूर्ण है ‘कवच’?
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जहां हर दिन लाखों लोग यात्रा करते हैं। ऐसे में सुरक्षा तकनीकों का महत्व और बढ़ जाता है। कवच 4.0 कई महत्वपूर्ण सुविधाएँ प्रदान करता है—
ट्रेनों के बीच टकराव से बचाव
ओवरस्पीडिंग पर ऑटो-ब्रेकिंग
लोको पायलट की त्रुटियों पर स्वचालित प्रतिक्रिया
सिग्नल ओवरशूटिंग पर रोक
नेटवर्क के भीतर ट्रेनों की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि कवच 4.0 दुर्घटना रोकथाम के क्षेत्र में “गेम चेंजर” तकनीक साबित हो रही है। यह रेलवे को यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम जैसे वैश्विक मानकों की ओर ले जाती है, लेकिन भारतीय परिस्थितियों के लिए अधिक उपयुक्त और किफायती है।
अगला चरण: अधिक इंजन और मार्ग कवच के दायरे में
रेल मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि कवच 4.0 की स्थापना देशभर में चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगी। सभी रेल जोन में कार्ययोजना तैयार है, और भविष्य में हाई-डेंसिटी कॉरिडोर तथा सेमी-हाईस्पीड रूट पर इस प्रणाली को प्राथमिकता से लागू किया जाएगा।
