नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कर्नाटक के उडुपी स्थित प्राचीन श्री कृष्ण मठ पहुंचकर आध्यात्मिक माहौल में समय बिताया। इस दौरान, उन्होंने विशेष रूप से आयोजित लक्ष गीता पाठन कार्यक्रम में भाग लिया, जहाँ एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से गीता के श्लोकों का पाठ किया। प्रधानमंत्री ने मठ में पूजा-अर्चना की और पर्याय स्वामीजी से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस यात्रा में उन्होंने महान दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु श्री माधवाचार्य को भी नमन किया। एक लाख स्वर जब एक हुए, तो सहस्त्र वर्षों की दिव्यता साकार हो उठी इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिव्य क्षण का हिस्सा बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में गुरुओं की उपस्थिति उनके लिए विशेष सौभाग्य का क्षण है।
प्रधानमंत्री ने सामूहिक गीता पाठ के अनुभव को अविस्मरणीय बताया:
जब एक लाख से अधिक लोगों की आवाज़ एक साथ गीता के श्लोकों में गुंजित हुई, तो ऐसा लगा मानो भारत की सहस्त्रों वर्षों पुरानी आध्यात्मिक परंपरा प्रत्यक्ष रूप से साकार हो उठी हो।उन्होंने कुरुक्षेत्र की हाल की यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि उडुपी आकर उन्हें फिर वही आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस हुई। उन्होंने द्वारकाधीश के समुद्र के भीतर स्थित स्थल के पिछले वर्ष के दर्शन को भी याद किया जहाँ से उन्हें दिव्य आशीर्वाद मिला था।
श्रीकृष्ण के उपदेश राष्ट्रीय संकल्पों का आधार
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाएँ आज भी शासन और समाज के मार्गदर्शन का आधार बनी हुई हैं।
जनकल्याण और शासन: उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के राष्ट्रीय संकल्प, जैसे सबका साथ, सबका विकास, सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय गीता के उन्हीं सिद्धांतों से प्रेरित हैं।गरीबों का उत्थान: श्रीकृष्ण जरूरतमंदों की सेवा और गरीबों के उत्थान का संदेश देते हैं, और इसी सोच से आयुष्मान भारत और पीएम आवास जैसी योजनाओं की नींव रखी गई।नारी सशक्तिकरण: भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिखाए गए नारी सुरक्षा और नारी सशक्तिकरण के मार्ग से प्रेरणा लेकर ही देश ने नारीशक्ति वंदन अधिनियम जैसे ऐतिहासिक कदम उठाए हैं।
शांति के लिए अत्याचारियों का अंत अनिवार्य
प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता केवल शांति का संदेश नहीं देती, बल्कि यह भी बताती है कि शांति स्थापित करने के लिए अत्याचारियों का अंत अनिवार्य है।पीएम मोदी का तीसरा उडुपी दौरा यह प्रधानमंत्री मोदी का उडुपी मठ का तीसरा दौरा था। इससे पहले, उन्होंने पहली बार 1993 में यहाँ कदम रखा था और फिर 2008 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी श्री कृष्ण मंदिर का दौरा किया था।
