नई दिल्ली: माता अन्नपूर्णा, जिन्हें देवी पार्वती का साक्षात रूप माना जाता है, अन्न और समृद्धि की देवी हैं। हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। इस वर्ष, अन्नपूर्णा जयंती 4 दिसंबर 2025 गुरुवार को होगी। वैदिक पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर की सुबह 4:37 बजे से शुरू होकर 5 दिसंबर की सुबह 4:43 बजे तक रहेगी। चूंकि यह तिथि सूर्योदय के समय से शुरू हो रही है, इसलिए जयंती 4 दिसंबर को ही मनाई जाएगी।
अन्नपूर्णा जयंती का महत्व
माता अन्नपूर्णा अन्न और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। उनके आशीर्वाद से घर में अन्न की कमी नहीं रहती और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन अन्न का अपमान करना वर्जित माना जाता है। गरीब और जरूरतमंदों को अन्न दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में अन्नपूर्णा माता का वर्णन इस प्रकार है कि वह अन्न की देवी होने के साथ-साथ भक्ति और दान को भी महत्व देती हैं।
अन्नपूर्णा जयंती 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 04 दिसंबर गुरुवार सुबह 4:37 बजे। मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि समापन: 05 दिसंबर शुक्रवार सुबह 4:43 बजे । जयंती मनाने की तिथि: 04 दिसंबर 2025 गुरुवार चूंकि पूर्णिमा तिथि सूर्योदय के समय शुरू हो रही है, इसलिए अन्नपूर्णा जयंती 4 दिसंबर को ही मनाई जाएगी।
अन्नपूर्णा जयंती पूजा विधि
इस दिन माता अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए निम्न विधि अपनाई जाती है: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूरे रसोईघर को अच्छी तरह से साफ करें। रसोईघर या पूजा स्थल को पवित्र करने के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा स्थापित करें।चूल्हा सिलबट्टा और घर में रखे अन्न की विधिवत पूजा करें। माता को हल्दी, कुमकुम, अक्षत और ताजे फूल अर्पित करें। अन्नपूर्णा माता को खीर और पुआ अति प्रिय हैं। इस दिन घर में शुद्ध भोजन और मिठाई का भोग अर्पित करें।अन्न का अपमान कभी भी न करें। गरीब और जरूरतमंदों को दान देना इस दिन सबसे पुण्यकारी कार्य माना जाता है।
पूजन मंत्र
इस दिन माता अन्नपूर्णा के निम्न मंत्रों का जाप शुभ माना जाता है:
मूल मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं अन्नपूर्णायै नमः ।। शांति मंत्र: ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै। तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।। स्तुति मंत्र: अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे। ज्ञान वैराग्य-सिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति॥ इस दिन भोजन और अन्न का अपमान करना वर्जित है। माता अन्नपूर्णा की कृपा पाने के लिए घर में खीर, पुआ और अन्य शुद्ध भोजन अर्पित करें। साथ ही गरीब और जरूरतमंदों को अन्न दान अवश्य दें, जिससे परिवार में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहे।अन्नपूर्णा जयंती केवल पूजा का दिन नहीं है, बल्कि यह दान, सेवा और समृद्धि का संदेश देने वाला पर्व भी है। इस दिन माता अन्नपूर्णा की भक्ति करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और जीवन में भरपूर अन्न की प्राप्ति होती है।
