भोपाल/उज्जैन । 1 दिसंबर को उज्जैन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गीता के ज्ञान को जीवन का मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि प्रत्येक बच्चे के बस्ते में गीता का होना अनिवार्य है। उन्होंने गीता को जीवन संतुलन कर्म आत्मा और धर्म के बीच समन्वय स्थापित करने वाला अद्वितीय ग्रंथ करार दिया। इस कार्यक्रम में विभिन्न आयु वर्ग के लोग साधु-संत और श्रद्धालु एकत्र हुए और गीता का सामूहिक पाठ किया।
सीएम डॉ. यादव ने अपने संबोधन में गीता के विभिन्न पहलुओं की व्याख्या करते हुए कहा भक्ति योग ज्ञान योग और कर्म योग इन सभी का सार गीता में मिलता है। जीवन को संतुलित रखने के लिए गीता की शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि गीता न केवल मानसिक शांति का रास्ता दिखाती है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में निर्णय लेने में मार्गदर्शन प्रदान करती है। गीता हमें यह सिखाती है कि हमारे कर्म हमेशा हमारे साथ रहते हैं और हमारी आत्मा को सही दिशा में प्रवृत्त करने के लिए हमें अपने कर्मों के प्रति सजग रहना चाहिए डॉ. यादव ने कहा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गीता के अध्ययन से जीवन में संतुलन और आत्मविश्वास बढ़ता है जो किसी भी चुनौती का सामना करने में सहायक होता है। उन्होंने गीता को न केवल धार्मिक ग्रंथ बल्कि एक जीवनशास्त्र भी बताया जो हर किसी के लिए प्रासंगिक है चाहे वह किसी भी क्षेत्र में काम कर रहा हो। उन्होंने यह भी घोषणा की कि प्रदेश में गीता भवन का निर्माण किया जाएगा जिससे और भी लोग गीता के गहरे ज्ञान से अवगत हो सकेंगे। सीएम डॉ. यादव का कहना था कि गीता का अध्ययन जीवन में सफलता और संतुलन की कुंजी है और यही कारण है कि इसे हर बच्चे के बस्ते में होना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में गीता के महत्व को प्रकट करने का यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था। इस कार्यक्रम ने गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया ताकि लोग इसे अपने जीवन में उतार सकें।इस अवसर पर सीएम डॉ. यादव ने अपने संबोधन में गीता के ज्ञान को जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि एक जीवन दर्शन के रूप में भी अत्यंत मूल्यवान है।
