भोपाल।भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल द्वारा घोषित की गई पहली प्रदेश कार्यकारिणी पर पार्टी के अंदर ही घमासान शुरू हो गया है। बघेलखंड और बुंदेलखंड अंचल के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर खुलकर अपना विरोध जताया है। गुर्जर और लोधी समाज ने कार्यकारिणी में प्रतिनिधित्व न मिलने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे ‘अपमान’ बताया है।
लोधी समाज का आक्रोश: ‘घिसते रहो’
टीकमगढ़ पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष सूरज सिंह लोधी ने फेसबुक पर अपना गुस्सा व्यक्त किया। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा कि सालों से बीजेपी के लिए चप्पल घिस रहे लोधी समाज के नेताओं को प्रदेश सूची में स्थान न देकर आराम करने दिया गया। उसके लिए प्रदेश संगठन का धन्यवाद, घिसते रहो। यह पोस्ट सीधे तौर पर पार्टी में समाज के नेताओं की अनदेखी को दिखाता है।
गुर्जर समाज का खुला पत्र: ‘अपमान बर्दाश्त नहीं’
इससे भी अधिक गंभीर विरोध सकल गुर्जर समाज की ओर से आया है। सकल गुर्जर समाज के प्रदेश संयोजक रमेश गुर्जर के नाम से जारी पत्र में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश कार्यकारिणी में गुर्जर समाज को प्रतिनिधित्व नहीं दिया है, जो कि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।दावा पत्र में कहा गया है कि, प्रदेश के 18 लोकसभा और 131 विधानसभा क्षेत्रों में गुर्जर समाज के लोग निर्णायक संख्या में हैं।आरोप पत्र में चेतावनी दी गई है कि अगर बीजेपी गुर्जर समाज का यूँ ही अपमान करेगी, तो समाज इसका जमकर विरोध करेगा। पत्र में यह भी याद दिलाया गया है कि खंडेलवाल को उनकी लोकसभा सीट पर जीत दिलाने में गुर्जर समाज का बड़ा योगदान रहा था।
विंध्य में भी विरोध: ‘काश जन्मदिन न मनाते
विंध्य अंचल (बघेलखंड) में भी कार्यकारिणी से नेताओं की छुट्टी होने पर विरोध देखने को मिला है। रीवा से राजेश पांडेय और शरदेंदु तिवारी जैसे प्रमुख नेताओं को कमेटी से बाहर कर दिया गया है।
एक कार्यकर्ता अर्पित पांडेय ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और राजेश पांडेय का फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करते हुए व्यंग्यात्मक टिप्पणी लिखी: “काश, वीडी भाई साब का जन्मदिन न मनाते।” इस पोस्ट के जरिए यह इशारा किया गया है कि पूर्व अध्यक्ष के करीबी नेताओं को नई टीम से बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
खंडेलवाल की नई टीम में लता वानखेड़े, सुमेर सोलंकी, गौरव रणदिवे और राहुल कोठारी को प्रदेश महामंत्री बनाया गया है। खंडेलवाल के अध्यक्ष बनने के 3 महीने 21 दिन बाद यह टीम घोषित की गई है, लेकिन घोषणा के साथ ही पार्टी में आंतरिक असंतोष की लहर उठ खड़ी हुई है।
