ग्वालियर । डॉ. भीमराव आंबेडकर पर एक विवादित बयान के बाद ग्वालियर में जातीय तनाव गहरा गया है। अनुसूचित जाति संगठनों और सवर्ण समाज के बीच विरोध-प्रदर्शनों की चेतावनी के चलते बुधवार को शहर में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए शहर के भीतर और सीमाओं पर सख्त बंदोबस्त किए गए हैं।
शहर में तैनात किए गए 4,000 से ज्यादा जवान
पुलिस और प्रशासन ने शहर को सुरक्षा के लिहाज से किले में तब्दील कर दिया है। बलवा किट से लैस 4,000 से अधिक पुलिसकर्मी ग्वालियर की सड़कों, बाजारों और संवेदनशील इलाकों में मुस्तैद हैं। 70 से ज्यादा चेकिंग प्वाइंट्स बनाए गए हैं, जहां हर आने-जाने वाले व्यक्ति और वाहन की सघन जांच की जा रही है।
छह जिलों की सीमाएं सील, बाहर से आने वालों पर निगरानी
संभावित आंदोलन को देखते हुए ग्वालियर से सटे मुरैना, भिंड, अशोकनगर, गुना और शिवपुरी जिलों की सीमाओं को सील कर दिया गया है। आईजी अरविंद सक्सेना के निर्देशन में चेकिंग बढ़ा दी गई है। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर भी बाहर से आने वालों की पहचान पूछी जा रही है।
सोशल मीडिया पर निगरानी, भड़काऊ पोस्ट पर कार्रवाई की तैयारी
पुलिस की साइबर सेल सोशल मीडिया पर सक्रिय नजर रख रही है। व्हाट्सएप ग्रुप और फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट, वीडियो या मैसेज शेयर करने वाले लोगों को चिन्हित किया जा रहा है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अफवाह फैलाने या माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दोनों पक्षों ने दी थी प्रदर्शन की चेतावनी, फिर बनी सहमति
विवाद की शुरुआत अधिवक्ता अनिल मिश्रा की डॉ. आंबेडकर पर की गई एक टिप्पणी से हुई थी। इसके विरोध में एससी-एसटी संगठनों ने प्रदर्शन की घोषणा की, जबकि मिश्रा के खिलाफ दर्ज FIR के विरोध में सवर्ण संगठनों ने भी पुतला दहन और प्रदर्शन किया। बाद में प्रशासन की मध्यस्थता से दोनों पक्षों ने 15 अक्टूबर को कोई प्रदर्शन न करने की सहमति जताई थी, लेकिन सोशल मीडिया पर बढ़ती गतिविधियों के चलते हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
प्रशासन की चेतावनी: कानून व्यवस्था से खिलवाड़ नहीं सहेंगे
ग्वालियर पुलिस प्रशासन का कहना है कि किसी भी कीमत पर कानून व्यवस्था बिगड़ने नहीं दी जाएगी। अतिरिक्त बल मंगवाया गया है और एसएएफ की कंपनियां, ड्रोन निगरानी और फायर ब्रिगेड भी तैनात की गई है। 25 संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च हो चुका है।
