भारत में आतंकवाद के खिलाफ जारी लगातार कार्रवाई के दौरान जांच एजेंसियों को एक बड़ी सफलता मिली है। फरीदाबाद, सहारनपुर और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी ने देश के सुरक्षा तंत्र के लिए नए संकेत दिए हैं। खासकर फरीदाबाद मॉड्यूल की जांच में यह सामने आया है कि आतंकवादी साजिश में अब डॉक्टरों के बाद मौलवियों का भी हाथ है।
हाल ही में गिरफ्तार किए गए सात संदिग्ध आतंकियों में एक नाम इरफान अहमद का भी शामिल है। इरफान अहमद डॉक्टर नहीं बल्कि एक इमाम है। उसकी गिरफ्तारी से यह खुलासा हुआ है कि आतंकवादी साजिश में इस्लामिक मजहबी शिक्षकों की भूमिका भी अहम रही है। इरफान अहमद जम्मू-कश्मीर के शोपियां का निवासी है और उसे श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा फरीदाबाद से मौलवी हाफिज मोहम्मद इश्तियाक को भी हिरासत में लिया गया है, और उनसे पूछताछ जारी है।
जांच के दौरान यह पता चला कि मजहबी कट्टरता और जिहाद का नेटवर्क विभिन्न पेशेवर और सामाजिक वर्गों में फैल चुका है। दिल्ली में लाल किले के पास हाल ही में हुए धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। इस धमाके के बाद गहन सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसी कार्रवाई के तहत फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी में छात्रों, स्टाफ और प्रिंसिपल से पूछताछ की गई। यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार डॉक्टर मुजम्मिल से जुड़े करीब 52 लोगों से भी पूछताछ हुई, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आतंकवादी साजिश में कितने लोग सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे।
जांच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, इरफान अहमद और हाफिज मोहम्मद इश्तियाक जैसे मौलवी आतंकवादी साजिश में रणनीतिक भूमिका निभा रहे थे। इरफान अहमद की गिरफ्तारी ने यह संकेत दिया कि धार्मिक शिक्षकों के जरिए युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ने और आतंकी गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश की जा रही थी। इससे पहले मीडिया रिपोर्टों में डॉक्टरों की गिरफ्तारी पर ही ज्यादा ध्यान दिया गया था, लेकिन अब यह मामला और व्यापक हो गया है।
फरीदाबाद मॉड्यूल की जांच में यह भी सामने आया है कि संदिग्ध आतंकियों का नेटवर्क सिर्फ एक शहर तक सीमित नहीं था। इसके तहत कई राज्यों से इनकी संपर्क सूची सामने आई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने इरफान अहमद की गिरफ्तारी के बाद उनके मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल उपकरणों की जांच शुरू की है। इसमें संदेश, कॉल रिकॉर्ड और सोशल मीडिया गतिविधियों के जरिए यह पता लगाया जा रहा है कि आतंकवादी नेटवर्क की गहराई और विस्तार क्या है।
जांच एजेंसियों ने कहा है कि अब फरीदाबाद मॉड्यूल की जांच में नई लीड मिली है। इसका मतलब है कि आगे और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इस पूरे मामले में आतंकियों की योजना यह थी कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया जाए। इसके लिए उन्होंने अलग-अलग पेशेवर और धार्मिक नेटवर्क का इस्तेमाल किया। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के मॉड्यूल से निपटने के लिए केवल पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की ही नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों की भागीदारी जरूरी है। खासकर शिक्षा संस्थानों में यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी चरमपंथी सोच युवाओं के मन में जगह न बना सके। अल-फलाह यूनिवर्सिटी में हुई पूछताछ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अभी हाल ही में गिरफ्तार सात संदिग्धों की जांच पूरी होने पर देश के लिए आतंकवाद और सुरक्षा की स्थिति पर और भी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आएंगी। फिलहाल, इरफान अहमद और हाफिज मोहम्मद इश्तियाक जैसे मौलवियों की गिरफ्तारी ने यह संदेश दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ सरकार और सुरक्षा एजेंसियां लगातार सख्त कार्रवाई कर रही हैं।
गौरतलब है कि फरीदाबाद मॉड्यूल की गिरफ्तारी और इरफान अहमद जैसे मौलवियों के शामिल होने का खुलासा देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चेतावनी है। जांच एजेंसियों की सतत कार्रवाई और व्यापक पूछताछ से ही ऐसे नेटवर्क को तोड़ा जा सकता है।
