नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य में भाजपा की लगातार चुनावी असफलताओं के पीछे की असली वजहों का विश्लेषण किया है। एक हालिया पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान उन्होंने साफ कहा कि वर्तमान हालात में भाजपा अकेले दम पर पंजाब में सरकार नहीं बना सकती। उनके अनुसार पार्टी की शुरुआती रणनीति और कमजोर कैडर निर्माण ही आज उसके सामने राजनीतिक चुनौतियों का मुख्य कारण है।
भाजपा का पंजाब में संकट: कैडर न बनने की गलती
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बताया कि भाजपा की शुरुआती रणनीति ही आज उसकी कमजोरी बन गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा को हर चुनाव हर सीट पर लड़ना चाहिए था। आप जंग से नहीं भाग सकते, उन्होंने स्पष्ट किया। उनके अनुसार, पुराने समय में भाजपा ने अकाली दल SAD के साथ गठबंधन कर केवल कुछ सीमित सीटों पर ही चुनाव लड़ा। इसका फायदा अकाली दल को मिला, जबकि भाजपा अपना मजबूत राजनीतिक कैडर नहीं बना पाई। इस रणनीतिक कमी के चलते आज पार्टी पंजाब में स्थायी राजनीतिक प्रभाव स्थापित नहीं कर पाई है। कैप्टन ने जोर देकर कहा कि यदि भाजपा का लक्ष्य केवल अल्पकालिक जीत हासिल करना है तो उसके लिए अकाली दल के साथ गठबंधन करना जरूरी है। वहीं यदि पार्टी दीर्घकालिक रूप से पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, तो उसे अपने कैडर को लगातार मजबूत करना होगा और हर चुनाव हर सीट पर चुनाव लड़ना होगा।
कैप्टन का दो-तरफा फॉर्मूला
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा के लिए दो स्पष्ट रास्ते सुझाए हैं तत्काल जीत के लिए गठबंधन उनका कहना है कि यदि भाजपा जल्दी पंजाब में सरकार बनाना चाहती है, तो उसे शिरोमणि अकाली दल SAD के साथ गठबंधन करना होगा। कैप्टन ने कहा कि फिलहाल पार्टी के पास अकेले दम पर कोई विकल्प नहीं है। गठबंधन से पार्टी को तुरंत राजनीतिक लाभ मिल सकता है और सत्ता में शामिल होने का मौका मिलेगा।
दीर्घकालिक रणनीति
यदि भाजपा पंजाब में स्थायी रूप से अपनी पकड़ बनाना चाहती है, तो उसे दीर्घकालिक योजना अपनानी होगी। इसके तहत पार्टी को दो-तीन चुनावों तक हर सीट पर चुनाव लड़ना होगा ताकि मजबूत स्थानीय संगठन और कैडर का निर्माण हो सके। इससे पार्टी न केवल राज्य में अपने लिए स्थायी पहचान बनाएगी, बल्कि भविष्य में किसी भी गठबंधन पर निर्भर हुए बिना चुनाव जीतने की स्थिति में भी होगी। कैप्टन ने इस दौरान भाजपा नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि पंजाब में पार्टी की सफलता का मार्ग सिर्फ़ अल्पकालिक गठबंधन या दीर्घकालिक संगठन निर्माण के विकल्प में से एक ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों रास्तों में से कोई एक अपनाना ही जरूरी है, अन्यथा पार्टी लगातार चुनावों में पिछड़ती रहेगी।
अकाली दल की प्रतिक्रिया
कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस बयान पर शिरोमणि अकाली दल SAD ने प्रतिक्रिया दी। शिअद प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह केवल कैप्टन के व्यक्तिगत विचार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अकाली दल किसी भी गठबंधन पर तभी चर्चा करेगा जब औपचारिक प्रस्ताव पार्टी की ओर से प्राप्त होगा। उनका यह बयान संकेत देता है कि फिलहाल गठबंधन को लेकर कोई सक्रिय बातचीत नहीं हुई है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि पंजाब में भाजपा के सामने केवल दो ही विकल्प हैं। पहला, पुराने सहयोगी अकाली दल के साथ फिर से हाथ मिलाकर सत्ता में शामिल होना, और दूसरा, लंबी अवधि के लिए पार्टी का स्थायी कैडर और संगठन बनाना। राज्य में भाजपा की राजनीतिक सफलता के लिए इन दोनों में से किसी एक विकल्प को गंभीरता से अपनाना अनिवार्य है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भाजपा दीर्घकालिक रणनीति अपनाती है और हर सीट पर चुनाव लड़कर मजबूत स्थानीय नेतृत्व तैयार करती है, तो भविष्य में उसे पंजाब में स्थायी राजनीतिक पहचान बनाने में मदद मिल सकती है। वहीं तत्काल प्रभाव और सत्ता में शामिल होने के लिए अकाली दल के साथ गठबंधन रणनीति सबसे व्यावहारिक विकल्प के रूप में सामने आता है।इस तरह, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा के लिए पंजाब में सफलता की स्पष्ट रणनीति और राजनीतिक विकल्प प्रस्तुत किए हैं, जो पार्टी नेतृत्व के लिए मार्गदर्शक साबित हो सकते हैं।
