नई दिल्ली । बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। शुक्रवार, 17 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की, जिससे एनडीए में नए मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर अटकलें बढ़ गई हैं। इस बैठक ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा और उत्सुकता पैदा कर दी है।
जेडीयू का स्पष्ट मानना है कि आगामी चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, लेकिन पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद की आधिकारिक घोषणा जल्द होने की मांग भी उठ रही है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री और जनता दल (लोकतांत्रिक) के नेता जीतन राम मांझी के बयानों ने राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया है।
जीतन राम मांझी ने कहा, “अमित शाह एनडीए के प्रमुख नेता हैं और उनकी बात को आधिकारिक माना जाता है, लेकिन मेरी निजी राय है कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का नाम तय होना चाहिए था, ताकि किसी तरह की दुविधा न रहे।” उन्होंने आगे कहा कि महागठबंधन के अंदर दुविधा के कारण उनकी उम्मीदवार सूची अभी तक अंतिम रूप नहीं पा सकी है, जबकि एनडीए में फिलहाल सब कुछ सही ढंग से चल रहा है। मांझी ने यह भी बताया कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने उस समय नाराजगी जताई थी जब किसी अन्य पार्टी ने जेडीयू की सीट पर अपने उम्मीदवार को उतार दिया था, लेकिन अब मामला सुलझ गया है।
वहीं, जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह के बयान को गलत तरीके से पेश किए जाने से इनकार किया है। उन्होंने कहा, “गृह मंत्री के बयान के विभिन्न हिस्सों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री कौन होगा, यह परंपरा के अनुसार एनडीए विधायक दल तय करेगा। इसलिए गृह मंत्री के बयान को सही संदर्भ में ही समझना चाहिए।”
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एनडीए के भीतर मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर चर्चाएं जारी हैं, लेकिन अंतिम निर्णय चुनाव के पहले आने की संभावना है। ऐसे में बिहार के चुनावी समीकरणों और गठबंधन की रणनीति पर सबकी निगाहें टिकी हैं। आगामी दिनों में राजनीतिक दलों की सक्रियता और बयानबाजी से चुनावी हलचल और तेज होने की संभावना है।
