नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान गुलामी की मानसिकता पर जोर देते हुए कांग्रेस को जमकर आड़े हाथों लिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल और नेता सामाजिक न्याय के नाम पर केवल अपने हित साधने में लगे हुए हैं। उन्होंने कांग्रेस सरकारों द्वारा “अर्बन नक्सलियों” को शीर्ष पदों पर बिठाने का आरोप लगाया और यह भी कहा कि “मुस्लिमलीगी माओवादी कांग्रेस” आज भी राष्ट्रीय हित को नजरअंदाज कर रही है।
इस कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर भी उपस्थित थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की तारीफ करते हुए कुछ अंश सोशल मीडिया पर साझा किए। हालांकि, शशि थरूर ने पीएम मोदी के भाषण की भाषा पर एक टिप्पणी भी की और कहा कि उम्मीद है कि प्रधानमंत्री अंग्रेजी भाषा के योगदान को भी नजरअंदाज नहीं करेंगे।
गुलामी की मानसिकता और रचनात्मक विकास
शशि थरूर ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की, जिसमें पीएम मोदी ने भारत को गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने और रचनात्मक विकास पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि भारत अब केवल एक उभरता हुआ बाजार नहीं है, बल्कि वह दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है। थरूर ने पीएम मोदी के इस विचार को सराहा कि भारत की संस्कृति, भाषा और ज्ञान प्रणाली को पुनर्स्थापित करने के लिए अगले 10 सालों में कार्य किए जाएंगे।
थरूर ने यह भी साझा किया कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि लोग अक्सर आरोप लगाते हैं कि पीएम मोदी हमेशा चुनावी मूड में रहते हैं, लेकिन मोदी ने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि वह हमेशा लोगों की समस्याओं के प्रति भावनात्मक रूप से संवेदनशील रहते हैं।
मैकॉले की मानसिकता पर प्रहार
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि भारत को 200 सालों तक अंग्रेजों ने जो गुलामी की मानसिकता थोप दी थी, उससे अब बाहर निकलने का वक्त आ चुका है। मोदी ने कहा कि भारत को अब अपनी संस्कृति, भाषा और नॉलेज सिस्टम को पुनर्स्थापित करने के लिए अगले दशक में जोर देना होगा। थरूर ने इस बिंदु को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि पीएम मोदी का यह विचार सच में प्रेरणादायक था, और साथ ही यह भी याद दिलाया कि रामनाथ गोयंका जैसे महान व्यक्तियों ने कैसे अंग्रेजी में राष्ट्रवाद की आवाज उठाई थी।
भारत का विकास मॉडल
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत की जीडीपी लगभग सात प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आज भारत न केवल एक उभरता हुआ बाजार है, बल्कि एक ‘उम्मीद का मॉडल’ भी बन चुका है। दुनिया भारत के विकास मॉडल को अब एक उदाहरण के रूप में देख रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज का भारत विकसित राष्ट्र बनने के लिए व्यग्र है, और वैश्विक चुनौतियों के बावजूद तेजी से आगे बढ़ रहा है।”
विकास और कल्याण पर जोर
पीएम मोदी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि किसी भी देश के विकास के लिए, व्यक्ति को चुनावी दृष्टिकोण से हटकर, भावनात्मक रूप से काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हम चुनाव इसलिए जीतते हैं क्योंकि हम चौबीस घंटे विकास और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं, और हमारी प्राथमिकता हमेशा लोगों का कल्याण ही रहा है।
भारत में आयातित विचारों के खिलाफ
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक आयातित विचारों, वस्तुओं और सेवाओं को बढ़ावा दिए जाने की आलोचना की और इसे बदलने का श्रेय अपनी सरकार को दिया। उन्होंने कहा कि अब हम भारतीय मूल्यों और विचारों को प्राथमिकता दे रहे हैं। मोदी ने बिहार के चुनाव परिणामों का हवाला देते हुए कहा कि यह परिणाम दर्शाते हैं कि लोग अब केवल विकास चाहते हैं, और सभी राज्यों को इसी दिशा में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
भाषा पर मोदी का दृष्टिकोण
अंत में, पीएम मोदी ने यह स्पष्ट किया कि उनकी सरकार अंग्रेजी के खिलाफ नहीं है, बल्कि वे सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहते हैं। उनका मानना है कि भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देकर हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत कर सकते हैं, और यह हमारे समाज की विविधता को भी सम्मानित करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह भाषण न केवल राष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्रित था, बल्कि उन्होंने भारतीय संस्कृति, भाषा और विकास पर भी गहरी बात की। कांग्रेस के खिलाफ किए गए हमलों के साथ-साथ पीएम मोदी ने भारत के विकास को वैश्विक मंच पर एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। शशि थरूर ने प्रधानमंत्री के भाषण की सराहना की, हालांकि उन्होंने भाषा के मुद्दे पर भी अपना दृष्टिकोण साझा किया। कुल मिलाकर, पीएम मोदी का यह भाषण भारतीय राजनीति, समाज और संस्कृति में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
