25वें स्थापना वर्ष पर ‘प्रतिरोध’ का संदेश
एक रिपोर्ट के मुताबिक, PLGA के 25 वर्षों के मौके पर जारी CMC के ताजा बयान को सरकार के खिलाफ एक प्रतीकात्मक चुनौती माना जा रहा है। इसमें कहा गया है कि यह वर्ष संगठन के लिए सबसे रक्तरंजित वर्षों में से एक होने के बावजूद लड़ाकू धैर्य का क्षण है। माओवादियों ने स्वीकार किया है कि पिछले एक वर्ष में उनके 320 कैडर मारे गए, जिनमें 8 सेंट्रल कमेटी सदस्य, 15 राज्य स्तरीय नेता और महासचिव बसवराज शामिल हैं। केवल दंडकारण्य क्षेत्र में 243 मौतें दर्ज की गईं।
सरकार का पलटवार: ‘ऑपरेशन में कोई ढील नहीं’
केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है कि मार्च 2026 तक माओवादी हिंसा का सफाया कर दिया जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों ने ताजा माओवादी बयान को उकसावे की कार्रवाई बताते हुए कहा है कि ऑपरेशनों में किसी तरह की देरी या ढील नहीं दी जाएगी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा- वे आत्मसमर्पण करें या लड़ाई चुनें, यदि हथियारों के साथ दिखे तो कार्रवाई होगी। ऑपरेशन रुकेगा नहीं, बल्कि और तेज होगा।
माओवादियों के दावों पर विवाद
CMC ने दावा किया है कि उन्होंने पिछले वर्ष 116 सुरक्षा कर्मियों को मार गिराया, लेकिन एंटी-नक्सल एजेंसियों ने इसे फर्जी आंकड़ा बताया है और कहा कि जमीनी स्तर पर ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। अपने आंतरिक मूल्यांकन में संगठन ने भूपति–सतीश गुट को कठोर शब्दों में निशाना बनाते हुए उन्हें क्रांतिकारी गद्दार कहा और आरोप लगाया कि उन्होंने 227 से अधिक हथियार जमा कर आत्मसमर्पण किया।
PLGA सप्ताह के लिए नए निर्देश
CMC ने अपने कैडरों को PLGA सप्ताह मनाने के लिए कहा है, जिसमें- छोटे गुप्त बैठकें, पोस्टर और प्रचार अभियान, भर्ती अभियान को प्राथमिकता दी जाएगी। बयान में स्पष्ट निर्देश है कि यह सप्ताह संगठन, PLGA और क्रांतिकारी आंदोलन की रक्षा का दायित्व निभाने का प्रतीक होना चाहिए।
राज्यों की रणनीति: आत्मसमर्पण को बढ़ावा, ऑपरेशन जारी
महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने संकेत दिए हैं कि वे बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण का स्वागत करेंगे, लेकिन ऑपरेशन पर रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं। केंद्र सरकार- विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हालिया बयानों में यह दोहराया है कि सुरक्षा बल कुछ ही महीनों में नक्सलवाद को समाप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं।
खुफिया एजेंसियां सतर्क
PLGA सप्ताह से पहले सुरक्षा एजेंसियों ने सतर्कता बढ़ा दी है। उन्हें आशंका है कि यह उग्र संदेश कैडरों के मनोबल को फिर से बनाने, घटते जनाधार को पुनर्जीवित करने और संगठन की प्रासंगिकता दिखाने का प्रयास हो सकता है। पिछले ढाई दशक से माओवादी PLGA सप्ताह मनाते रहे हैं, अपने मृत लड़ाकों को याद करते हुए नए कैडरों को प्रेरित करते हैं। इस बार भी वे आखिरी सांस तक लड़ने का संकल्प दोहरा रहे हैं- जबकि संगठन का प्रभाव लगातार सिमटता जा रहा है और सुरक्षा बल अपने निर्णायक अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।
