चंडीगढ़ । पंजाब में पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। नवंबर की शुरुआत के साथ ही खेतों में पराली को आग लगाने की घटनाएं तेज़ हो गई हैं। सरकार और प्रशासन के सख्त निर्देशों, चेतावनियों और दंडात्मक कार्यवाही के बावजूद किसान पराली जलाने से नहीं रुक पा रहे हैं। शनिवार को सिर्फ एक दिन में 442 नए मामले दर्ज किए गए, जो इस सीजन में एक दिन में सामने आने वाले मामलों की सबसे अधिक संख्या है।
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में अब तक पराली जलाने के कुल 2084 मामले दर्ज हो चुके हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि पिछले साल की तुलना में इस बार मामलों में करीब 41 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2024 में 1 नवंबर तक राज्य में 3537 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई थीं।
किसानों पर बढ़ रही सख्ती, जुर्माने और FIR की बौछार
सरकार की ओर से पराली जलाने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। अब तक 467 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जबकि 555 किसानों की जमीन के राजस्व रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है। इसके अलावा, 34.05 लाख रुपये का जुर्माना भी वसूला गया है। पराली जलाने के मामलों में तरनतारन जिला सबसे आगे है, जहां अब तक 423 घटनाएं दर्ज की गई हैं। संगरूर में 389, अमृतसर में 212 और फिरोजपुर में 207 मामले सामने आए हैं। वहीं, पटियाला, लुधियाना और जालंधर जिलों में भी पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
पराली से जहरीली होती हवा, AQI खतरनाक स्तर पर
पिछले 14 दिनों में ही 1784 नए मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे पंजाब के कई इलाकों की हवा बेहद प्रदूषित हो गई है। राज्य के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। खन्ना: 243, भटिंडा: 167, जालंधर: 189, लुधियाना: 177, मंडी गोबिंदगढ़: 212, पटियाला: 216 है। विशेषज्ञों के मुताबिक, पराली जलाने से न सिर्फ स्थानीय स्तर पर प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि इसका असर पड़ोसी राज्यों खासकर दिल्ली और हरियाणा पर भी गंभीर रूप से पड़ रहा है।
दिल्ली की हवा भी बिगड़ी, पराली बनी बड़ी वजह
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। कई इलाकों में AQI 400 के पार दर्ज किया गया है, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन जैसी समस्याएं हो रही हैं। दिल्ली के पर्यावरण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं दिल्ली की जहरीली हवा की एक प्रमुख वजह हैं। राज्य सरकार का दावा है कि वह वैकल्पिक उपायों को बढ़ावा दे रही है जैसे स्ट्रॉ मैनेजमेंट मशीनें, सब्सिडी योजनाएं, और जागरूकता अभियान—लेकिन ग्रामीण इलाकों में इन प्रयासों का असर सीमित दिखाई दे रहा है।
किसान संगठनों का कहना है कि बिना उचित आर्थिक सहायता और वैकल्पिक व्यवस्था के, पराली न जलाने का दबाव किसानों पर “अवास्तविक बोझ” डालता है। वहीं, पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर अगले कुछ दिनों में पराली जलाने के मामलों में कमी नहीं आई, तो पंजाब और आसपास के राज्यों में वायु प्रदूषण संकट और गहराने की आशंका है।
