नई दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल के दिनों में उनके बयानों उपस्थितियों और राजनीतिक स्टैंड ने पार्टी के भीतर ही नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक गलियारे में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। रविवार को सोनिया गांधी के नेतृत्व में बुलाई गई कांग्रेस रणनीतिक समूह की महत्वपूर्ण बैठक में थरूर का शामिल न होना पार्टी नेतृत्व के बीच सवाल खड़े कर रहा है। इससे पहले भी SIR मुद्दे को लेकर बुलाए गए बैठक से वह अनुपस्थित रहे थे।
कांग्रेस लाइन से अलग राह पर थरूर?
कांग्रेस के भीतर यह चर्चा तेज हो गई है कि थरूर अब पार्टी की लाइन से हटकर अपनी राजनीतिक भूमिका गढ़ रहे हैं। कभी वह कांग्रेस की कमियों पर खुलकर सवाल उठाते दिखाई देते हैं, तो कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर तारीफ करते हैं। उनके ये बदलते तेवर इस बात का संकेत माने जा रहे हैं कि शायद थरूर कांग्रेस से धीरे-धीरे दूरी बना रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में कई अवसरों पर उनकी टिप्पणियाँ कांग्रेस की आधिकारिक नीति से अलग नजर आई हैं।
पीएम मोदी की तारीफ ने बढ़ाया विवाद
हाल ही में आयोजित रामनाथ गोयनका लेक्चर के दौरान शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को आर्थिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक आह्वान बताया। उन्होंने देश की आर्थिक दिशा और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने के पीएम मोदी के दृष्टिकोण की सराहना की। कांग्रेस के एक वरिष्ठ सांसद द्वारा इस तरह की प्रशंसा पार्टी के भीतर असहजता का कारण बनी।थरूर की ओर से पीएम मोदी के समर्थन वाले पोस्ट पहले भी सोशल मीडिया पर दिखाई दे चुके हैं। इस पर कांग्रेस के कई नेताओं ने नाराजगी जताई है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने उनकी आलोचना करते हुए कहाअगर आपको लगता है कि कांग्रेस की पॉलिसी के खिलाफ जाकर कोई देश का भला कर रहा है, तो फिर आप कांग्रेस में क्यों हैं?
सरकार की नीतियों पर भी दिखाई समर्थन
शशि थरूर ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान संघर्ष के दौरान सरकार के कदमों की भी सराहना की थी। जबकि उसी दौरान कांग्रेस सरकार पर सवाल उठा रही थी और कई मुद्दों पर आक्रामक रुख अपना रही थी। इससे थरूर और कांग्रेस की आधिकारिक लाइन के बीच मतभेद और स्पष्ट हो गया।
कांग्रेस पर भी उठाए सवाल – वंशवाद पर बड़ा बयान
एक अन्य बयान में थरूर ने कहा था कि राजनीति में वंशवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है और अब समय आ गया है कि देश वंशवाद की जगह मेरिटोक्रेसी को बढ़ावा दे। उनका यह बयान सीधे तौर पर कांग्रेस पर हमला माना गया क्योंकि पार्टी को लंबे समय से परिवारवाद के ताने झेलने पड़ते हैं। इस पर भाजपा ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए उनकी बात का समर्थन किया। भाजपा प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा उन्होंने भारत के नेपो किड राहुल गांधी और छोटे नेपो किड तेजस्वी यादव पर सीधा हमला किया है।
बीजेपी की इस प्रतिक्रिया से साफ था कि थरूर के बयान को विपक्ष अपने समर्थन में इस्तेमाल कर रहा है।
बैठकों से नदारद-क्या संकेत दे रहे हैं थरूर?
सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक से शशि थरूर का नदारद रहना राजनीतिक संकेतों की ओर इशारा कर रहा है। शीतकालीन सत्र से पहले यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही थी लेकिन थरूर की गैरहाजिरी ने पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर अटकलों को और बल दिया है।
भविष्य की राजनीति पर सवाल बरकरार
हालाँकि शशि थरूर ने अब तक खुलकर कांग्रेस से अलग होने जैसा कोई संकेत नहीं दिया है लेकिन उनके हालिया बयान गैर-हाजिरी और पीएम मोदी की प्रशंसा ने राजनीतिक हलके में नए समीकरणों की हवा बना दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में थरूर की राजनीतिक दिशा क्या रूप लेती है- क्या वे कांग्रेस में रहकर अपनी अलग लाइन जारी रखेंगे या किसी नए राजनीतिक मोड़ की ओर बढ़ रहे हैं
