दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच की कमान संभाल ली है और विस्फोट की हर परत को खोलने में जुटी हुई है। अब एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही हैं कि क्या आतंकियों ने एक से अधिक वाहन विस्फोट के लिए तैयार किए थे और क्या यह हमला देशभर में फैले किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा था।
एक नहीं, चार वाहनों की थी तैयारी
जांच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, लाल किले ब्लास्ट के पीछे काम कर रहे समूह ने केवल एक कार नहीं, बल्कि कई वाहनों को विस्फोटक ले जाने के लिए तैयार करने की योजना बनाई थी। i20 और EcoSport कार से जुड़े मामलों के बाद अब यह जानकारी सामने आई है कि संदिग्धों ने दो और पुराने वाहनों को विस्फोटक लोड करने के लिए चुना था, ताकि एक साथ कई जगह धमाके किए जा सकें और देशभर में दहशत फैलाई जा सके।
सूत्रों के मुताबिक, इस योजना का मकसद था कि अगर एक हमला नाकाम हो जाए, तो दूसरे वाहनों से वैकल्पिक धमाके किए जा सकें। एजेंसियों को संदेह है कि इन वाहनों को दिल्ली, मुंबई, जयपुर और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में भेजे जाने की तैयारी थी।

चार शहरों को एक साथ दहलाने की थी योजना
NIA और खुफिया एजेंसियों के प्रारंभिक निष्कर्ष बताते हैं कि आठ संदिग्धों का एक नेटवर्क इस साजिश में शामिल था। इन संदिग्धों ने चार अलग-अलग शहरों में सिलसिलेवार धमाके करने की योजना बनाई थी। प्रत्येक शहर में दो-दो आतंकियों की टीम भेजी जानी थी, जिनके पास IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) से लैस वाहन होते।
जांच में यह भी सामने आया है कि आतंकियों ने अपने हमलों का समय त्योहारों और राष्ट्रीय अवसरों के साथ जोड़ने की योजना बनाई थी, ताकि भीड़भाड़ वाले इलाकों में अधिकतम नुकसान पहुंचाया जा सके।एजेंसियों के मुताबिक, दीवाली और गणतंत्र दिवस जैसे बड़े मौकों पर धमाके करने की भी तैयारी थी। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और शुरुआती खुफिया इनपुट के चलते इस नेटवर्क का बड़ा हिस्सा समय रहते पकड़ में आ गया।
i20 कार ब्लास्ट में शामिल था डॉ. उमर मोहम्मद
लाल किले के पास 10 नवंबर की शाम हुए i20 कार ब्लास्ट में अब एक अहम खुलासा हुआ है। डीएनए रिपोर्ट ने पुष्टि कर दी है कि इस विस्फोट में डॉ. उमर मोहम्मद नाम का व्यक्ति शामिल था।पुलिस ने घटना स्थल से बरामद मानव अवशेषों के डीएनए का मिलान उमर के परिवार के सदस्यों से कराया, जिसमें सटीक मेल मिलने के बाद यह पुष्टि हुई कि वही धमाके के समय कार में मौजूद था।
सूत्रों का कहना है कि उमर मोहम्मद की पहचान पहले भी कई संदिग्ध गतिविधियों से जुड़ी रही है और वह पिछले कुछ महीनों से अंडरग्राउंड नेटवर्क के संपर्क में था। जांच में यह भी सामने आया है कि वह कार में लगे विस्फोटक उपकरणों के तकनीकी संचालन का जिम्मा संभाल रहा था।

विस्फोटकों का नेटवर्क और तकनीकी लिंक
एजेंसियों को यह भी संदेह है कि इस धमाके में हाई-ग्रेड विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, जो सामान्य बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होती। फॉरेंसिक टीम को घटनास्थल से मिले नमूनों में RDX और अमोनियम नाइट्रेट जैसे रासायनिक तत्वों के संकेत मिले हैं।अब यह जांच की जा रही है कि इन विस्फोटकों को किस माध्यम से और कहां से लाया गया था।इसके अलावा, साइबर टीम यह भी पड़ताल कर रही है कि क्या संदिग्धों ने डार्क वेब या एन्क्रिप्टेड चैट प्लेटफॉर्म के जरिए संपर्क साधा था। एजेंसियों को कुछ ईमेल और डिजिटल लेन-देन के साक्ष्य मिले हैं, जो आतंकी फंडिंग नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं।
NIA की जाँच में तेज, कई राज्यों में छापेमारी
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में कई ठिकानों पर छापे मारे हैं। अब तक करीब 12 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है, जबकि कई संदिग्धों को निगरानी सूची में रखा गया है। सूत्र बताते हैं कि एजेंसियों को कुछ महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मोबाइल फोन और नक्शे मिले हैं, जिनसे आगे की कड़ियाँ जुड़ने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि लाल किले जैसे ऐतिहासिक और संवेदनशील क्षेत्र में हुआ यह धमाका देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। यह घटना न केवल राजधानी दिल्ली, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था की परीक्षा ले रही है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह साजिश अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क से जुड़ी हो सकती है, जिसका उद्देश्य भारत में अस्थिरता फैलाना था।
