शिवपुरी – प्रसिद्ध कथावाचक देवी चित्रलेखा जी ने करैरा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान महान भक्त ध्रुव के चरित्र का मार्मिक वर्णन किया। इस अवसर पर उन्होंने ध्रुव के दृढ़ संकल्प और निष्काम भक्ति पर प्रकाश डालते हुए श्रोताओं को जीवन में ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास रखने का संदेश दिया।
कथा व्यास देवी चित्रलेखा ने ध्रुव प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि जब विमाता सुरुचि के कटु वचनों से आहत होकर मात्र पाँच वर्ष की आयु में बालक ध्रुव ने भगवान को पाने का दृढ़ निश्चय किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार ध्रुव ने घर छोड़ दिया और तपस्या के लिए वृन्दावन चले गए, जहाँ देवर्षि नारद ने उन्हें “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र दिया।
कथा के दौरान, देवी जी ने सकाम और निष्काम भक्ति के बीच के अंतर को समझाया। उन्होंने कहा कि ध्रुव ने भगवान से एक राज्य का टुकड़ा नहीं मांगा, बल्कि इतनी महान सत्ता के सामने निष्काम भक्ति की याचना की। यह दर्शाता है कि सच्ची भक्ति में भक्त अपना तन, मन, धन और जीवन सब कुछ न्यौछावर कर देता है।
देवी चित्रलेखा ने बताया कि ध्रुव की कठोर तपस्या और अटूट विश्वास ने भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और केवल छह माह में उन्हें भगवत्प्राप्ति हुई।
ध्रुव तारे का महत्व:- उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ध्रुव जी का नाम और उनकी भक्ति सदा अमर है। आज भी आकाश में ‘ध्रुव तारा’ हमें मार्गदर्शन देता है, जो दृढ़ता और ईश्वर में आस्था का प्रतीक है।
देवी चित्रलेखा ने अपने प्रवचन में यह भी कहा कि जीवन की कोई भी जिम्मेदारी या सांसारिक कार्य किसी को भगवान से दूर नहीं कर सकता, यदि हृदय में सच्चा प्रेम और भक्ति हो। उन्होंने गौ सेवा के महत्व पर भी बात की और श्रोताओं से इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म मानने का आह्वान किया।
कथा ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया और उन्हें भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।कल दिनाँक 21 नवम्बर को भगवान राम व श्री कृष्ण जन्मोत्सव की पावन कथा होगी।
