भितरवार(ग्वालियर)– शुक्ल पक्ष द्वादशी पर दाऊ धाम में माता तुलसी और सालिगराम जी का विवाह बड़े ही धूमधाम से हुआ। बामौर के पास स्थित सिद्ध स्थान लंका वाले श्री हनुमान मंदिर से सालिगराम जी की बारात आई। महामंडलेश्वर शिवराम जी महाराज सहित अन्य संतों के साथ सैकड़ों बारातियों को लेकर आए दूल्हे राजा सालिगराम जी का नगर आगमन पर जोशीला स्वागत किया गया। नगर के घाटमपुर तिराहे के पास गायत्री मंदिर से नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए सालिगराम जी की बारात नए बस स्टैंड के पास बृज वाटिका में पहुंची। सैकड़ों चार पहिया वाहनों के साथ आई बारात का नगर के लोगों ने जगह – जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। बृज वाटिका में बारात का स्वागत सत्कार हुआ। इसके बाद शाम को बग्घी में दूल्हे राजा सालिगराम जी को सवार कर बारात दाऊ धाम के लिए निकली। धूमधाम से ढोल-नगाड़े, बैंड-बाजे के साथ डीजे पर बजे वैवाहिक भजनों पर बारातिया नाचते हुए चल रहे थे। बग्घी में सवार सालिगराम जी आगे चल रहे थे। पीछे संत महात्माओं के साथ सैकड़ों बाराती चल रहे थे। नगर में जगह – जगह लोगों ने पुष्प वर्षा कर बारात का स्वागत किया। चारों तरफ से हुई पुष्प वर्षा से नगर की सड़कें फूलों से सजी दिखीं। नगर के महिलाएं अपने-अपने दरवाजे,गलियों में खड़े होकर मंगल गीत गा रहीं थीं। बाजार में काफी संख्या में उमड़ी भीड़ ने जय जय श्री राम के जयकारे लगाए। जयकारों से पूरा नगर गूंज उठा। बारात निकलते समय भक्ति धारा में लोगों ने डुबकी लगाकर धार्मिक लाभ अर्जित किया। वहीं सड़क के बीच बने डिवाइडर पर सैकड़ों लोग खड़े थे। जो सालिगराम जी और बारातियों पर पुष्प वर्षा कर रहे थे। जयकारों के साथ सालिगराम जी की बारात दाऊ धाम पहुंचीं। जहां महामंडलेश्वर शिवराम जी और अन्य संत बग्घी में सवार सालिगराम जी को उतारकर दाऊ धाम के प्रवेश द्वार पर पहुंचे। जहां धूमेश्वर धाम के महंत महामंडलेश्वर अनिरुद्धवन महाराज ने सालिगराम जी और बारातियों का स्वागत किया। यहां विधि विधान से दूल्हे सालिगराम जी का टीका हुआ। उपस्थित महिलाओं ने मंगल गीत गाए। इसके बाद वैदिक रीति-रिवाज से पंडितों ने विधि-विधान से तुलसी और सालिगराम जी का विवाह संपन्न कराया। जिसमें सात फेरे और कन्यादान जैसी रस्में शामिल थीं। यह तुलसी विवाह दाऊ धाम ट्रस्ट की अध्यक्ष गोदावरी बाई ने कराया। उन्होंने तुलसी जी का कन्यादान किया। इस ऐतिहासिक विवाह में नगर के सभी लोगों ने अपनी सहभागिता निभाकर धार्मिक लाभ अर्जित किया।
तुलसी मैया का भात भरने बैलगाड़ी से पहुंचे भतैया
जिस प्रकार वेद पुराणों में वर्णित है तुलसी शालिगराम विवाह, ठीक उन्हीं वेद पुराणों की वर्णित परंपराओं का निर्वहन करते हुए तुलसी मैया का भात भरने के लिए मामा पक्ष के लोग नाचते और गाते हुए बैलगाड़ी से नगर में पहुंचे जिनका भी नगर वासियों ने जगह-जगह भव्य स्वागत किया। तत्पश्चात दाऊ धाम में पहुंचकर परंपराओं को दोहराते हुए मामा पक्ष के लोगों ने भात दिया। जो दिन भर नगर में चर्चा का विषय भी रहा।बाद विधि विधान से बारात की विदाई कर विवाह संपन्न हुआ।
