नई दिल्ली । मोक्षदा एकादशी जो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है का विशेष धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है। यह व्रत न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि उनके पितरों के लिए भी मोक्ष की प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से सुख, समृद्धि और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। 24 एकादशियों में से यह एकादशी विशेष रूप से महत्व रखती है, क्योंकि यह मोक्ष की प्राप्ति का व्रत है। इसके साथ ही इस दिन बनने वाले शुभ संयोग और योग भी इसे अत्यधिक कल्याणकारी बनाते हैं।
मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस साल मोक्षदा एकादशी 30 नवंबर को रात 9:30 बजे से शुरू होकर 1 दिसंबर को शाम 7:02 बजे तक रहेगी। इसे उदय तिथि के अनुसार 1 दिसंबर को मनाया जाएगा। इसके साथ ही रात 11:18 बजे पंचक का भी समाप्ति समय है जो इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। इस दिन विशेष रूप से श्रद्धालुओं को उपवासी रहते हुए पूजा अर्चना करनी होती है और भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी का ध्यान करके व्रत का पालन करना चाहिए।
शिववास योग और मंगलकारी संयोग
इस एकादशी के दिन विशेष रूप से शिववास योग बन रहा है जो प्रदोष काल में होगा। इस योग के दौरान महादेव भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे और भक्तों की पूजा और आराधना से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा। इसके साथ ही रेवती और अश्विनी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है जो इस दिन के धार्मिक महत्व को और बढ़ाता है। यह दुर्लभ संयोग भक्तों के लिए विशेष पुण्य और कल्याण की प्राप्ति का कारण बनता है।
व्रत का महत्व और पितरों के लिए मोक्ष
मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से न केवल व्यक्ति को बल्कि उसके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पितरों का उद्धार होता है और वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही इस दिन विशेष रूप से दान-पुण्य का महत्व है। व्रतधारी लोग मंदिरों में आचार्य से व्रत की कथा सुनते हैं और फिर दान करते हैं। दान के रूप में अन्न वस्त्र और अन्य जरूरी सामग्री गरीबों और जरूरतमंदों को दी जाती है जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
दान का विशेष महत्व
मोक्षदा एकादशी पर दान-पुण्य का अत्यधिक महत्व है। इस दिन व्रतधारी श्रद्धालु मंदिरों में पूजा करते हैं और फिर गरीबों तथा जरूरतमंदों को दान देते हैं। विशेष रूप से अनाथालयों वृद्धाश्रमों और शरणार्थियों को अन्न वस्त्र और अन्य सहायताएँ देना पुण्य कार्य माना जाता है। दान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
उपसंहार
मोक्षदा एकादशी का व्रत एक बहुत ही पुण्यकारी व्रत है जो न केवल व्रतधारी को बल्कि उनके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति का अवसर देता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से समृद्धि सुख और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। शिववास योग रेवती और अश्विनी नक्षत्र का संयोग इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है। इस दिन का महत्व दान पुण्य करने से और भी बढ़ जाता है जिससे व्यक्ति अपने जीवन को कल्याणकारी बना सकता है।
