अजीजी सोमवार को उद्योग मंडल ‘एसोचैम’ द्वारा आयोजित एक परिचर्चा सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ मौजूदा तनाव व्यापार में बड़ी बाधा डाल रहा है और इस कारण भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापारिक संबंधों को और बेहतर बनाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में निवेश के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं और यहां कम प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिलती है।
अजीजी ने कहा, “अफगानिस्तान में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियों को न केवल पांच साल की कर छूट मिलेगी, बल्कि वे आसानी से भूमि प्राप्त कर सकती हैं। इसके अलावा, यदि कंपनियां मशीनरी आयात करती हैं, तो अफगानिस्तान केवल एक प्रतिशत शुल्क लगाएगा।” उनका कहना था कि इस तरह के निवेश से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते और मजबूत हो सकते हैं।
सोने के खनन में निवेश की अपील
अफगान मंत्री ने विशेष रूप से सोने के खनन क्षेत्र में निवेश को लेकर भारतीय कंपनियों से सहयोग का आह्वान किया। उनका कहना था कि इस क्षेत्र में काम शुरू करने के लिए तकनीकी और पेशेवर दलों की आवश्यकता होगी। इसलिए, उन्होंने भारतीय कंपनियों से अनुरोध किया कि वे पहले अपने विशेषज्ञ दल अफगानिस्तान भेजें, जो यहां के खनन क्षेत्रों का अध्ययन और शोध कर सकें, ताकि बाद में यहां निवेश और काम शुरू किया जा सके।
अजीजी ने यह भी कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि खनन के प्रसंस्करण का काम अफगानिस्तान में ही किया जाएगा, ताकि वहां रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो सकें। उनका मानना था कि इससे न केवल अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि भारतीय कंपनियों को भी एक नया बाजार मिलेगा, जिसमें वे आसानी से प्रवेश कर सकती हैं।
भारत-अफगानिस्तान व्यापार संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता
अजीजी ने भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय संबंधों में कुछ छोटी-छोटी बाधाओं को दूर करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने भारत सरकार के अधिकारियों से आग्रह किया कि वीजा, हवाई मार्ग और बैंकिंग लेन-देन जैसे मामूली मुद्दों को हल किया जाए, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के रास्ते खोल सकें। उनका कहना था कि इन समस्याओं के समाधान से दोनों देशों के व्यापारिक संबंध और अधिक प्रगति कर सकते हैं।
अफगानिस्तान के उद्योग मंत्री वर्तमान में छह दिन की भारत यात्रा पर हैं और इस दौरान वे भारत सरकार के विभिन्न अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। उनके भारत दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत बनाना है।
पाकिस्तान को हो सकती है परेशानी
अफगानिस्तान द्वारा भारत को दी गई कर छूट और निवेश के अवसरों की खबर से पाकिस्तान को निश्चित रूप से परेशानी हो सकती है, क्योंकि पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। अफगानिस्तान ने कई बार पाकिस्तान की सीमा पर सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे उठाए हैं। ऐसे में भारत और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंध पाकिस्तान के लिए एक नई चुनौती हो सकते हैं, जो उसके लिए घातक साबित हो सकता है।
अजीजी ने अफगानिस्तान में निवेश को लेकर जो प्रस्ताव भारत के सामने रखा है, वह न केवल भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर है, बल्कि यह क्षेत्रीय व्यापार में नए रास्ते खोलने के लिए भी एक अहम कदम हो सकता है।
यह प्रस्ताव अफगानिस्तान की ओर से भारत के प्रति एक सकारात्मक संकेत है, जो दोनों देशों के बीच अच्छे व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों के लिए सहायक हो सकता है। इसके साथ ही, यह पाकिस्तान के लिए भी एक संकेत हो सकता है कि उसे क्षेत्रीय व्यापार में नई भूमिका निभाने के लिए अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
