भारत और अमेरिका के बीच नया व्यापार समझौता (Trade Deal) अब लगभग तय माना जा रहा है। कई महीनों से चल रही वार्ताओं के बाद दोनों देशों के बीच अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन चुकी है। यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नई दिशा दे सकता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, वार्ता अब अंतिम चरण में है और बस अमेरिका की ओर से औपचारिक जवाब का इंतजार किया जा रहा है।
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है और संभवतः अब आगे किसी और दौर की जरूरत नहीं पड़ेगी।” इस बयान से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में जल्द ही एक बड़ा मोड़ आ सकता है।
अमेरिका के जवाब का इंतजार
भारत की ओर से व्यापार समझौते को लेकर लगभग सभी प्रमुख बिंदुओं पर सहमति जताई जा चुकी है। अब फैसला अमेरिका की अदालत में है। सूत्रों का कहना है कि समझौते की शर्तें दोनों देशों के हितों को ध्यान में रखकर तय की गई हैं। भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि किसी भी समझौते से घरेलू उद्योगों को नुकसान न हो, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के नए अवसर मिलें।
ट्रंप के बयान से मिले संकेत
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वे भारत के साथ एक व्यापक व्यापार समझौते के पक्ष में हैं। ट्रंप ने भारत पर लगने वाले 50% तक के टैरिफ को कम करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि “अमेरिका भारत के साथ मजबूत आर्थिक संबंध चाहता है, और इसके लिए टैरिफ को कम करने पर विचार किया जा सकता है।” इस बयान से दोनों देशों के बीच सकारात्मक माहौल बना और बातचीत को नई गति मिली।
‘संतुलित और न्यायसंगत समझौता चाहते हैं’; पीयूष गोयल
भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत एक न्यायसंगत और संतुलित व्यापार समझौता चाहता है। उन्होंने कहा, “हम भारत के हित में एक अच्छा और टिकाऊ समझौता करने के लिए काम कर रहे हैं। यह किसी भी समय कल, अगले महीने या अगले साल हो सकता है, लेकिन सरकार इसके लिए पूरी तरह तैयार है।” गोयल ने यह भी कहा कि भारत अब किसी भी समझौते में केवल ‘बाजार तक पहुंच’ के दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीतिक हितों को ध्यान में रखकर निर्णय ले रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि समझौते से न केवल व्यापारिक अवसर बढ़ेंगे, बल्कि दोनों देशों के बीच निवेश, तकनीकी सहयोग और रोजगार सृजन में भी तेजी आएगी।
पांच दौर की बातचीत पूरी
अब तक भारत और अमेरिका के बीच अधिकारियों के स्तर पर पांच दौर की बातचीत हो चुकी है। इन बैठकों में व्यापार, निवेश, कृषि उत्पादों, दवा उद्योग, टेक्नोलॉजी एक्सचेंज और डिजिटल व्यापार जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई है। इसके अलावा वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी अपने अमेरिकी समकक्षों से कई बार मुलाकात की है।
स्रोतों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच “मार्केट एक्सेस”, “टैरिफ कटौती” और “सेवाओं के क्षेत्र” से जुड़े ज्यादातर विवाद सुलझा लिए गए हैं। अब केवल कुछ तकनीकी बिंदु और औपचारिक अनुमोदन बाकी हैं।
भारत के लिए क्यों अहम है यह समझौता
भारत के लिए यह व्यापार समझौता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और हर साल दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर का व्यापार होता है।
यदि नया समझौता लागू होता है, तो भारतीय आईटी, फार्मा, वस्त्र, कृषि और विनिर्माण क्षेत्र को सीधा लाभ मिलेगा। भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में प्रवेश और निवेश के बेहतर अवसर मिलेंगे। इससे रोजगार और निर्यात दोनों में वृद्धि होगी। वहीं, अमेरिका के लिए भी यह समझौता फायदेमंद रहेगा क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। अमेरिकी कंपनियों को यहां निवेश और कारोबार के नए रास्ते मिलेंगे।
व्यापार संतुलन में सुधार की उम्मीद
भारत-अमेरिका व्यापार में लंबे समय से असंतुलन की स्थिति रही है। भारत का निर्यात अमेरिका को अधिक है, जबकि आयात कम। इस समझौते के ज़रिए दोनों देश इस असंतुलन को कम करने की कोशिश करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि व्यापार की शर्तें दोनों पक्षों के लिए समान रूप से लाभदायक रहीं, तो इससे वैश्विक निवेशकों में भी सकारात्मक संदेश जाएगा।
तकनीकी सहयोग और निवेश में भी बढ़ोतरी
इस समझौते से केवल व्यापार ही नहीं, बल्कि तकनीकी सहयोग, डेटा सुरक्षा, और डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ने की उम्मीद है। दोनों देश नवाचार, रक्षा उत्पादन, और हरित ऊर्जा (Green Energy) जैसे क्षेत्रों में भी मिलकर काम कर सकते हैं। इस डील से भारत को वैश्विक व्यापार में अधिक मजबूत स्थिति मिल सकती है और घरेलू उद्योगों को भी विदेशी बाजार में प्रतिस्पर्धा का अवसर मिलेगा। सरकार का रुख स्पष्ट है, समझौता केवल तब होगा जब यह भारत के हित में होगा। अगर सब कुछ तय योजना के मुताबिक हुआ, तो आने वाले महीनों में भारत-अमेरिका संबंधों में एक ऐतिहासिक आर्थिक अध्याय जुड़ सकता है।
